Alone Shayari
अब मौत से कहो की हमसे नाराज़गी ख़त्म कर ले,
वो बहुत बदल गए है, जिसके लिए हम जिया करते थे।
सिर्फ चाहने से मिल जाती ,तो मोहब्बत आबाद रहती,
इस इश्क के जहां में मेरे दोस्त वफादार सजा पाते हैं।
जुल्फों को फैला कर जब कोई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है,
तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती है।
यूं मुदत्तों में सामने उसके नहीं गया
जितना मैं चाहता था वो उतना तरस गया।
वो जिन को नींद न आये उन्ही को है मालूम,
के सुबह आने में, कितने ज़माने लगते हैं।
अभी तो राख हुए हैं तेरे फिराक में हम
अभी हमारे बिखरने का खेल बाकी है।
“हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना,
भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना,
खोना पाना तो नसीबों का खेल है,
ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।
मेरे मरने के बाद उफ़ क्या नजारे हो रहे होंगे,
कुछ जबरदस्त तो कुछ जबरदस्ती रो रहे होंगे।
प्यार को एक तरफा समझ कर चाहते रहे यूं ही ।
जब तक खबर हुई कि कुबूल उन्हें भी है
तो बिछड़ने का वक़्त आ गया।
बदन तो ख़ुश है कि उस पर हैं रेशमी कपड़े !
ज़मीर चीख़ रहा है कि बिक गया हूँ मैं !